पी.एस.एल.वी.-सी.34 द्वारा एक ही उड़ान में सफलतापूर्वक 20 उपग्रहों का प्रमोचन होम / अभिलेखागार / पी.एस.एल.वी.-सी.34 द्वारा एक ही उड़ान में सफलतापूर्वक 20 उपग्रहों का प्रमोचन
जून 22, 2016 अपनी छत्तीसवीं उड़ान (पी.एस.एल.वी.-सी34) में भारत के ध्रवीय उपग्रह प्रमोचक राकेट ने 19 को-पैसेंजन (सह-यात्री) उपग्रहों के साथ 727.5 कि.ग्रा. भार वाले कार्टोसैट-2 श्रृंखला के उपग्रह का आज सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र-शार, श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक प्रमोचन किया। यह पी.एस.एल.वी. की लगातार 35वीं सफल उडा़न है और ‘एक्स.एल.’ संरूपण में 14वां मिशन। पी.एस.एल.वी.-सी34 पर ले जाए गए सभी 20 उपग्रहों का कुल वजन 1288 कि.ग्रा. था। प्रथम चरण के प्रज्वलन के साथ द्वितीय प्रमोचन पैड से भारतीय मानक समय 0926 बजे पी.एस.एल.वी.-सी34 उडा़न भरने के बाद, तदवर्ती मुख्य उडा़न घटनाएं जैसे, स्ट्रैप-ऑन प्रज्वलन तथा पृथक्कन, प्रथम चरण पृथक्कन, द्वितीय चरण प्रज्वलन, ताप कवच पृथक्कन, द्वितीय चरण पृथक्कन, तृतीय चरण प्रज्वलन, पृथक्कन, चतुर्थ चरण प्रज्वलन तथा प्रथक्कन योजना के अनुसार घटित हुई। 16 मिनट 30 सेकण्ड की उडा़न भरने के बाद उपग्रहों ने भूमध्य रेखा से 97.5 डिग्री (निर्धारित कक्षा के बहुत समीप) के कोण पर आनत 508 कि.मी. की ध्रुवीय सूर्य तुल्यकाली कक्षा प्राप्त की और अगले 10 मिनट में सभी 20 उपग्रह पी.एस.एल.वी. से पूर्व निर्धारित क्रम में सफलतापूर्वक अलग हो गए। पृथक्कन के बाद कार्टोसैट-2 श्रृंखला के उपग्रह के दो सौर व्यूह स्वत: प्रस्तरित हो गए और उपग्रह का नियंत्रण बेंगलूर स्थित इसरो दूरमिति अनुवर्तन तथा आदेश नेटवर्क (इस्ट्रैक) ने अपने हाथ में ले लिया। आने वाले दिनों में उपग्रह को उसके अंतिम प्रचालनीय संरूपण में लाया जाएगा जिसके बाद वह अपने पैनक्रोमैटिक (श्याम-श्वेत) तथा बहु-स्पैक्ट्रमी (रंगीन) कैमरा का उपयोग करते हुए सुदूर संवेदी सेवाएं प्रदान करने लगेगा। कार्टोसैट-2 श्रृंखला उपग्रह के द्वारा भेजे गए प्रतिबिंब कार्टोग्राफी उपयोग, शहरी एवं ग्रामीण उपयोग, तटीय भूमि उपयोग एवं विनियमन, उपयोगिता प्रबंधन जैसे सड़क नेटवर्क मानीटरन, जल वितरण, भूमि उपयोग मानचित्रों का सृजन, परिशुद्धता अध्ययन, भौगोलिक एवं मानव निर्मित के बीच परिवर्तन संसूचन और अन्य विभिन्न भूमि सूचना प्रणाली (एल.आई.एस.) तथा भौगोलिक सूचना प्रणाली (जी.आई.एस.) उपयोगों के लिए उपयोगी होंगे। पी.एस.एल.वी.-सी34 द्वारा ले जाए गए 19 को-पैसेंजन (सह-यात्री) उपग्रहों में से दो - 1.5 कि.ग्रा. भार वाला सत्यभामासैट तथा 1 कि.ग्रा. भार वाला स्वयं - विश्वविद्यालय/शैक्षणिक संस्थान के उपग्रह है और क्रमश: सत्यभामा विश्वविद्यालय, चेन्नई तथा इंजीनियरी कॉलेज, पुणे के छात्र इनके निर्माण में शामिल थे। बाकी के 17 को-पैसेंजन (सह-यात्री) उपग्रह कनाडा़ (2), जर्मनी (1), इंडोनेशिया (1) तथा अमरीका (13) के अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों के उपग्रह थे। आज के सफल प्रमोचन के साथ भारत के विश्वसनीय प्रमोचक राकेट द्वारा प्रमोचित कुल उपग्रहों की संख्या 113 हो गई है जिनमें से 39 भारत के और बाकी 74 विदेशी हैं।